छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नेता राधिका खेड़ा ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया कि उन्हें अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने की वजह से पार्टी में अपमानित होना पड़ा है. इस वजह से वो अत्यंत पीड़ा के साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और पद से इस्तीफा दे रही हैं. राधिका खेड़ा ने कहा कि मैं लड़की हूं और लड़ सकती हूं और मैं अब वही कर रही हूं. उन्होंने कहा कि अपने और देशवासियों के न्याय के लिए मैं निरंतर लड़ती रहूंगी.
अपने इस्तीफे में राधिका खेड़ा ने लिखा कि उन्होंने जिस पार्टी को अपने 22 साल दिए, जहां उन्होंने पूरी इमानदारी से काम किया. वहीं मुझे ऐसे ही तीखे विरोध का सामना करना पड़ा है. क्योंकि मैं अयोध्या में रामलला के दर्शन करने से खुद को रोक नहीं पाईं. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि – हर हिंदू के लिए प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पवित्रता के साथ बहुत मायने रखती है. रामलला के दर्शन मात्र से जहां हर हिंदू अपना जीवन सफल मानता है, वहीं कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. मेरे इस पुनीत कार्य का विरोध इस स्तर तक पहुंच गया कि मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ. इस घटनाक्रम में मुझे इंसाफ देने से इनकार कर दिया गया. मैंने हमेशा ही दूसरों के न्याय के लिए हर मंच से लड़ाई लड़ी है. लेकिन जब खुद के न्याय की बात आई तो पार्टी में मैंने स्वयं को हारा हुआ पाया.
राधिका खेड़ा ने लिखा कि – भगवान श्रीराम की भक्त और एक महिला होने के नाते मैं बहुत दुखी हूं. बार-बार पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं को अवगत कराने के बाद भी मुझे जब इंसाफ नहीं मिला तो इससे दुखी होकर मैंने यह कद उठाया है. मुझे पूरा विश्वास है कि रामलला मुझे न्याय जरूर देंगे.
चुनावी सीजन में राधिका खेड़ा के ये आरोप कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं. अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ, धर्मेंद्र आचार्य, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा, संजय निरुपम जैसे कई नेताओं ने कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं पर सनातन विरोधी होने का आरोप लगाया है. यही नहीं कई कांग्रेसी नेताओं ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के पार्टी के फैसले पर आपत्ति जताई थी. (तस्वीर साभार – राधिका खेड़ा के फेसबुक पेज से साभार)