हमेशा से पाकिस्तान यही दावा करता आ रहा था कि कारगिल की लड़ाई स्थानीय विद्रोही और कबीलाई नेताओं मे लड़ी. लेकिन पहली बार 25 साल बाद पाकिस्तानी सेना ने इस जंग में अपनी भूमिका को स्वीकार किया है. रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अपने भाषण में इस बात को स्वीकार किया है.
पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कहा कि चाहे 1948 हो, 1965, 1971 या फिर 1999 का कारगिल का युद्ध हजारों सैनिकों ने देश और इस्लाम के लिए अपनी जान कुर्बान की है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बहादुरों का समूह है जो आजादी का महत्व समझता है औऱ आजादी के लिए कुछ भी करने को तैयार है.
इससे पहले तक पाकिस्तान कारगिल के घुसपैठियों को कश्मीर का आजादी के लड़ाके या मुजाहिद्दीन बताया करती थी. वहीं भारत हमेशा से दावा करता रहा है कि इस घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना शामिल रही है. इस जंग में भारतीय सेना ने पाकिस्कानी जवानों को वापस खदेड़ा और कब्जा की हुई जगह को बहादुरी से वापस हासिल किया.