मध्य प्रदेश में धार की भोजशाला परिसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंदौर हाईकोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने बताया कि भोजशाला परिसर में कमाल मौलाना मस्जिद का निर्माण पहले के मंदिरों के हिस्सों का इस्तेमाल करते हुए बनाया गया है. अब इस रिपोर्ट पर हाईकोर्ट 22 जुलाई को सुनवाई करेगा.
भोजशाला का इतिहास
मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहांय वागदेवी (मां सरस्वती) का मंदिर था. जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कमाल मौलाना मस्जिद है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है. भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है. एएसआई ने अप्रैल, 2003 में एक आदेश में हिंदुओं को हर मंगलवार परिसर में पूजा करने और हर शुक्रवार को मुसलमानों को यहां नमाज अदा करने की इजाजत दे दी.
भोजशाला मंदिर को राजा भोज (1000 से 1050ईस्वी ) ने बनवाया था. जो परमार वंश के महान शासक थे. 1000 से 1050ईस्वी तक अपने शासन के दौरान उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां महाविद्यालय की स्थापना की. इसी महाविद्यालय में मां सरस्वती का मंदिर भी था. इस मंदिर का जिक्र उस वक्त के राजकवि मदन ने अपने नाटक में भी किया है. साल 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला किया. 1401 ईस्वी में दिलवार खान गौरी ने फिर 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने इसके दूसरे हिस्से में मस्जिद बनवाई. 19वीं शताब्दी में खुदाई के दौरान यहां मां सरस्वती की मूर्ति मिली. जिसे लॉर्ड कर्जन 1902 ई. में भोजशाला से इंग्लैण्ड के लंदन संग्रहालय में रख दिया. (तस्वीर साभार – भोजशाला मां सरस्वती मंदिर धार फेसबुक पेज से साभार)