Bangladesh में पिछले 48 घंटों में मैमन सिंह, दिनाजपुर और नाटोरे जिलों में कम से कम 4 मंदिरों पर हमला हुआ है. यहां 8 मूर्तियां तोड़ी गईं. नाटोरे में एक श्मशान घाट पर डकैती हुई और पुजारी की हत्या कर दी गई. यह देश कभी हिंदुओं का था लेकिन अब इस पर बर्बर जिहादियों का कब्जा हो गया है. Bangladesh के हालात पर ये बातें बांग्लादेशी लेखिका और एक्टिविस्ट तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखी हैं.
निर्वासन के लिए हसीना खुद जिम्मेदार
बता दें कि अगस्त में Bangladesh में चल रहे हिंसक प्रदर्शन के दौरान तसलीमा ने उस वक्त की प्रधानमंत्री शेख हसीना की आलोचना की थी. उन्होंने लिखा था कि – हसीना ने इस्लामी कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए 1999 में मुझे मेरे देश से बाहर निकाल दिया. जब मैं अपनी मां को उनकी मौत के बाद देखने के लिए Bangladesh आई तो मुझे देश में प्रवेश नहीं करने दिया गया. वही इस्लामी कट्टरपंथी छात्र आंदोलन में शामिल रहे हैं. जिन्होंने आज हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया. तसलीमा नसरीन ने ये भी कहा था कि Bangladesh को पाकिस्तान की तरह नहीं बनना चाहिए और आर्मी को शासन नहीं करना चाहिए.
बता दें कि साल 1993 में उनकी किताब लज्जा को लेकर विवाद के बाद तसलीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी हो गया था. 1999 में Bangladesh में तसलीमा नसरीन को प्रतिबंधित कर दिया गया था. उसके बाद उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा था. इसके बाद वो 10 साल तक स्वीडन, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका में रहीं फिर साल 2004-05 में भारत (कोलकाता) आ गईं. लेकिन इस दौरान इन्हें भारत में भी विरोध का सामना करना पड़ा. करीब तीन साल बाद 2007 में उन्हें भारी विरोध की वजह से भारत छोड़ कर अमेरिका चली गईं. साल 2011 में वो फिर भारत लौटीं. लगातार मिल रही धमकियों की वजह से वो जून 2015 में अमेरिका चली गईं. (तस्वीर साभार – तस्लीमा नसरीन एक्स से साभार)