मध्य प्रदेश आने वाला हर टूरिस्ट भेड़ाघाट (Bheda ghat) का दीदार करना नहीं भूलता. ये जगह संगमरमरी वादियों के लिए जानी जाती है. जबलपुर (Jabalpur) से करीब बीस किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के तट पर स्थित भेड़ाघाट यहां आने वाले सैलानियों को एक खूबसूरत एहसास दिलाता है. यहां आकर आपको ऐसा लगेगा कि आप किसी विदेशी जमीन पर आ गए हैं. नर्मदा नदी ने इस जगह को अद्भुत सौंदर्य प्रदान किया है. यहां संगमरमर की चट्टानें, नौका विहार, धुआंधार जलप्रपात और चौंसठ योगिनी मंदिर समेत कई एट्रिक्टिव प्लेस हैं. यहां बोटिंग यानी नौकाविहार का अद्भुत आनंद मिलता है. यहां संगमरमर की ऊंचीं चट्टानें हैं, जिनके बीच से बहती नर्मदा नदी एक खूबसूरत नजारा पेश करती है. यहां आप संगमरमर के पहाड़ों को करीब से छूने और उन्हें महसूस करने का आनंद ले सकते हैं.

चौंसठ योगिनी मंदिर (Temple Chausath Yoguini)
भेड़ाघाट और धुआंधार जलप्रपात के पास एक ऊंची पहाड़ी पर चौंसठ योगिनी मंदिर हैं. 10वीं शताब्दी में कलचुरी साम्राज्य के शासकों ने मां दुर्गा के इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इस मंदिर में मां दुर्गा की 64 अनुषंगिकों की प्रतिमा है. इस मंदिर की खासियत ये भी है कि देवियों की प्रतिमा से घिरी भगवान शिव की प्रतिमा है. इस पहाड़ी के शिखर (टॉप) से पूरे इलाके में फैली नर्मदा नदी का अद्भुत सौंदर्य नजर आता है.
धुआंधार जलप्रपात (Dhuaandhaar jal Prapaat)
नर्मदा नदी से 30 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाले इस झरने को धुआंधार जलप्रपात के नाम से जाना जाता है. यहां का नजारा कुछ ऐसा हो जाता है जैसे हर तरफ धुआं ही धुआं हो. इसलिए इस झरने का नाम धुआंधार जलप्रपात हो गया. यहां बड़ी संख्या में सैलानी इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए आते हैं.

कैसे नाम पड़ा भेड़ाघाट?
इस जगह का नाम भेड़ाघाट पड़ने को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं. कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भृगु ऋषि का आश्रम यहीं पर था. इसके अलावा एक और मान्यता के मुताबिक नर्मदा और बावनगंगा नदी का संगम इसी स्थान पर था. स्थानीय भाषा के मुताबिक इस जगह पर दो नदियां भिड़ती (टकराती) थीं. इसलिए इस जगह का नाम भेड़ाघाट पड़ गया. कुछ विद्वान ऐसा दावा करते हैं कि करीब 1700 साल पहले तक यह स्थान शैवमत और शक्ति के उपासकों का बड़ा केंद्र भैरवीघाट था. जो बाद में अपभ्रंश से भेड़ाघाट के नाम से जाना जाने लगा.
कैसे पहुंचें भेड़ाघाट?
भेड़ाघाट, जबलपुर से करीब बीस किलोमीटर और भोपाल से 320 किलोमीटर दूर है. यहां पहुंचने के लिए आप ट्रेन से पहले जबलपुर आना होगा. इसके बाद यहां से बस या फिर टैक्सी की मदद से आप यहां पहुंच सकते हैं. इसी तरह हवाई जहाज से पहले आपको जबलपुर आना होगा. इसके अलावा अगर आप भोपाल से सीधे अपनी कार या अपने किसी और साधन से आते हैं तो यहां पहुंचने में आपको सात घंटे लगेंगे. भेड़ाघाट खुद में एक रेलवे स्टेशन है, लेकिन यहां प्रमुख ट्रेनें नहीं रुकती हैं इसलिए जबलपुर रेलवे स्टेशन से होते हुए यहां आना ज्यादा सुविधाजनक होता है. (तस्वीर साभार – www.mptourism.com)