क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पड़ोसी देशों में रहे रहे हिंदुओं के आंसू नहीं दिख रहे हैं. क्या उन्हें पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार नहीं दिख रहे हैं. क्या उन्हें उन शर्णार्थियों की तकलीफें नहीं नजर आ रही हैं जो अपना मुल्क अपनी जमीन छोड़कर यहां मुश्किलों भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. शायद अरविंद केजरीवाल को सियासत और अपने वोट बैंक के आगे यह सब नजर नहीं आ रहा. तभी तो उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू किए जाने पर सवाल उठाते हुए अजीबोगरीब तर्क गढ़े हैं.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद 1947 से भी बड़ा माइग्रेशन होगा. उनका कहना है कि अगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी तो बड़ी संख्या में ये लोग भारत आएंगे. तब उन्हें नौकरियां दी जाएंगी और उनके लिए घर बनाने होंगे. केजरीवाल ने आगे कहा कि बीजेपी हमारे बच्चों को नौकरी नहीं दे सकती, लेकिन वो पाकिस्तान के बच्चों को नौकरी देना चाहती है.
उन्होंने कहा कि हमारे तमाम लोग बिना घर के हैं, लेकिन बीजेपी पाकिस्तान से आए लोगों को यहां बसाना चाहती है. केजरीवाल ने कहा कि भारत सरकार का जो पैसा हमारी तरक्की के लिए खर्च होना चाहिए वो अब पाकिस्तानियों को बसाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इस तरह बड़ी संख्या में पाकिस्तान और बांग्लादेश से लोगों के आने से हमारे बच्चों के हक और रोजगार छिन जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा नुकसान पूर्वोत्तर के राज्यों को होगा.
केजरीवाल को सियासी जमीन खिसकने का डर?
जानकार कहते हैं कि केजरीवाल हमेशा अलग स्टैंड लेते हैं. श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जब कई दलों ने समारोह में जाने से इनकार कर दिया तब केजरीवाल ने भीड़ खत्म होने पर दर्शन करने जाने की बात कही थी. साल 2019-20 में सीएए के विरोध में शाहीन बाग में बैठी महिलाओं के समर्थन में सभी दलों के जाने के बाद भी वो वहां नहीं गए. लेकिन जब सीएए लागू हुआ तो सबसे मुखर विरोध में केजरीवाल सभी से आगे नजर आ रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल को अपनी सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही है. इसलिए वो ऐसा बयान दे रहे हैं. (तस्वीर साभार – अरविंद केजरीवाल के फेसबुक पेज से साभार)