मध्य प्रदेश High Court की इंदौर खंडपीठ ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि – जैन समुदाय अल्पसंख्यक होने के बाद भी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act ) के तहत ही आएगा. कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट ने गंभीर गलती की है कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के प्रावधान जैन समाज पर लागू नहीं होते. इसलिए इस विवादित आदेश को रद्द किया जाता है.
दरअसल, इससे पहले Family Court ने एक जैन दंपत्ति की तलाक की अर्जी को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्ज मिल चुका है. लेकिन अब High Court ने इस फैसले को गलत ठहराया है. High Court ने कहा है कि फैमिली कोर्ट का फैसला कानून के खिलाफ है. High Court ने फैमिली कोर्ट को निर्देश दिया कि वह दंपत्ति की तलाक की अर्जी पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करें.
बता दें कि जैन समाज को साल 2014 से अल्पसंख्यक का दर्जा मिला हुआ है. लेकिन समाज के लोगों को किसी भी वर्तमान कानून के दायरे से बाहर करने का संशोधन नहीं किया गया है. इसलिए इस समाज के लोगों को उनके धर्म के विपरीत मान्याताओं वाले किसी धर्म के कानून का फायदा देना सही नहीं है.