विश्व हिंदू परिषद ने हिंदू मंदिरों को राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने का एलान किया है. इस अभियान की शुरुआत 5 जनवरी को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में जनजागरण कार्यक्रम के साथ होगी. हिंदू मंदिरों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए एक मसौदा कानून तैयार किया गया है. यह मसौदा कुछ दिनों पहले ही विश्व हिंदू परिषद के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने विचार के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को सौंपा था.
विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि ब्रिटिश शासन के दौरान मंदिरों पर सरकार के नियंत्रण की शुरुआत को वित्तीय लाभ के लिए किया गया था. लेकिन दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर आज भी सरकार के नियंत्रण में हैं. यह अभियान हिंदू समाज को सशक्त बनाने और मंदिरों की पवित्रत्रा और उचित प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए है. विजयवाड़ा में होने वाले इस अभियान के पहले कार्यक्रम में 2 लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने की उम्मीद है.
इससे पहले 30 सितंबर 2024 को विश्व हिंदू परिषद ने देश के सभी राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपकर उनकी सरकारों से मंदिरों के प्रबंधन से हटने का अनुरोध किया था. मंदिरों की मुक्ति के लिए इस अखिल भारतीय जागरण अभियान से हिंदू समाज का जागरण शुरू हो गया है, जिससे कि इन मंदिरों की चल-अचल संपत्तियों की रक्षा की जा सके और उनका हिंदू समाज की सेवा और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समुचित उपयोग किया जा सके.
विश्व हिंदू परिषद की प्रमुख मांग
- मंदिरों और बंदोबस्ती विभागों में कार्यरत सभी गैर-हिंदुओं को हटाया जाए.
- भगवान की पूजा, प्रसाद और सेवा में केवल आस्थावान हिंदुओं को ही नियुक्त किया जाए.
- मंदिरों के ट्रस्ट बोर्ड और प्रबंधन में किसी भी राजनेता या किसी राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति की नियुक्ति न की जाए.
- मंदिरों के अंदर और बाहर केवल हिंदुओं की दुकानें होनी चाहिए.
- गैर-हिंदुओं द्वारा किए गए सभी अतिक्रमण और निर्माण तथा मंदिरों की भूमि पर किए गए सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाया जाना चाहिए.
- मंदिरों की आय को केवल हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार, समाज की सेवा और संबंधित मुद्दों पर खर्च किया जाना चाहिए, कभी भी सरकारी कार्यों पर नहीं.
(तस्वीर साभार – विश्व हिंदू परिषद फेसबुक पेज से साभार)