Skip to content
Anju Pankaj
Anju Pankaj

  • National
  • Politics
  • Religious
  • Sports
  • Video Gallery
  • Stories
  • Tours and Travel
  • Advertise
  • Blog
Anju Pankaj

कश्मीर घाटी में फिर जले Kashmiri पंडितों के घर

Anju Pankaj Desk, July 31, 2024July 31, 2024

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में एक बार फिर कश्मीरी पंडितों के घर जल उठे. पहले 1990 के दशक में ये आम बात थी. लेकिन साल 2024 में ऐसी घटना होना दुर्भाग्यपूर्ण है. खबरों के मुताबिक पांच कश्मीरी पंडितों के खाली घरों में आग लगी. फिलहाल इस घटना की जांच के लिए पुलिस की एक टीम बना दी गई है. कश्मीरी पंडितों का कहना है कि आगजनी की ये घटना जानबूझकर अंजाम दी गई है. क्योंकि घाटी में माहौल ठीक हो रहा था. कश्मीरी पंडित वापस आ रहे थे. ऐसे में कश्मीरी पंडितों को डराने के लिए ऐसा किया गया.

जब मस्जिदों से अजान के साथ नारे और धमकी गूंजी
कश्मीर घाटी से पलायन की शुरुआत 1989 में हो गई थी. आतंकवादी कश्मीरी पंडितों और सिखों को सरेआम जान से मार रहे थे. उनकी महिलाओं के साथ रेप किए जाते थे. हिंसा की ऐसी सैकड़ों घटनाओं के बाद कश्मीरी पंडितों ने अपना घर, जमीन-जायदाद छोड़कर घाटी से जाना शुरू कर दिया. 19 जनवरी, 1990 की सुबह मस्जिदों से अजान के साथ नारे और घाटी छोड़कर जाने की धमकी भी गूंजने लगे. जो पहले से उन्हें मिल रही थी. घाटी का पूरा माहौल बदल चुका था. अखबारों तक में धमकियां छापी जा रही थीं. हिंदुओं की महिलाओं के लिए जीना मुश्किल हो गया था, उनके साथ रेप की घटनाएं आम हो गई थीं. जिसके बाद तो कश्मीर पंडितों ने बड़ी संख्या में यहां से पलायन कर लिया.

नदिमार्ग नरसंहार कैसे भूलेंगे कश्मीरी पंडित ?
पुलवामा के नर्दिमार्ग गांव में 23 मार्च 2003 को सेना की वर्दी में आए सात आंतकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन से खड़ा कर गोली मार दिया क्योंकि इन लोगों ने घाटी छोड़ कर जाने से इनकार कर दिया था. इस नरसंहार में रो रहे 2 साल के बच्चे को भी आतंकियों ने गोली मार दी थी. एक अनुमान के मुताबिक जनवरी, 1990 के दौरान यहां 75 हजार से ज्यादा हिंदू परिवार थे. लेकिन 1992 तक 70 हजार से ज्यादा परिवार कश्मीर छोड़ कर चले गए. जबकि 2011 तक करीब 400 हिंदुओं की हत्या कर दी गई. अब वहां करीब 800 हिंदू परिवार ही बचे हैं. आज भी कश्मीर घाटी में हिंदुओं को जान से मारा जा रहा है.

जब सिख गुरु ने कश्मीर हिंदुओं के लिए प्राण त्याग दिए
कश्मीरी हिंदुओं पर अत्याचार की ऐसी घटनाएं 17वीं सदी में औरंगजेब के शासन काल के दौरान भी हुई थीं. इस बात का जिक्र मिलता है कि धर्मांतरण और अत्याचार से परेशान होकर कश्मीरी हिंदुओं ने आनंदपुर साहिब में सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर से मदद मांगी थी. गुरु तेगबहादुर ने इसका विरोध किया और हिंदुओं से कहा कि औरंगजेब तक संदेश पहुंचाओ की अगर तुमने हमारे गुरु का धर्म बदल दिया, तो सभी लोग इस्लाम स्वीकार कर लेंगे. खबर मिलते ही औरंगजेब के आदेश पर गुरु तेग बहादुर और उनके 4 साथियों के साथ दिल्ली लाया गया. उनके साथियों को बेरहमी से मारे जाने और तमाम प्रताड़ना के बाद भी जब गुरु तेग बहादुर इस्लाम स्वीकार करने को तैयार नहीं हुए तो 24 नवंबर, 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक पर उनके सिर को शरीर से अलग कर दिया गया. इस तरह गुरु तेग बहादुर ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.

National

Post navigation

Previous post
Next post

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

©2025 Anju Pankaj | WordPress Theme by SuperbThemes