तमिलनाडु में महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि – एक प्रकार से ये राज राजा की श्रद्धा भूमि है और आज इलैयाराजा ने जिस तरह हम सभी को शिवभक्ति में डुबो दिया, क्या अद्भुत वातावरण था. मैं काशी का सांसद हूं, जब मैं ऊं नम: शिवाय सुनता हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि – इतिहासकार मानते हैं कि चोल साम्राज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था. चोल साम्राज्य ने भारत को लोकंतत्र की जननी कहने की परंपरा को आगे बढ़ाया. इतिहासकार लोकतंत्र के नाम पर ब्रिटेन के मैग्नाकार्टा की बात करते हैं. लेकिन कई सदियों पहले चोल साम्राज्य में लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव होते थे. दूसरे राजा किसी जगह को जीतने के बाद सोना, चांदी या पशुधन लाया करते थे. लेकिन राजेंद्र चोल गंगाजल लेकर आए.
पीएम मोदी ने अरियालुर में स्थित ऐतिहासिक गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में भगवान बृहदेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की. प्रधानमंत्री यहां पूजा अर्चना के लिए कलश में गंगा जल लाए थे. बता दें कि ऐतिहासिक गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर ग्यारहवीं शताब्दी में चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम ने बनवाया था. जो अब यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स का हिस्सा है. इसमें गंगईकोंडा चोलपुरम का अर्थ होता है गंगा को जीतने वाला चोल. राजेंद्र चोल की गंगा नदी तक सैन्य विजय का प्रतीक भी माना जाता है. (तस्वीर – नरेंद्र मोदी फेसबुक पेज से साभार)