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Madhya Pradesh के धार भोजशाला पर अब जैन समाज का दावा

Anju Pankaj Desk, July 24, 2024July 24, 2024

मध्य प्रदेश में धार की भोजशाला पर अब जैन समाज ने भी अपना दावा जताया है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जैन समाज का भी पक्ष सुने, क्योंकि ब्रिटिश म्यूजियम में जो मूर्ति वाग्देवी (मां सरस्वती) की बताई जा रही है, वो जैन धर्म की देवी अंबिका की है. जैन समाज का कहना है कि एएसआई के सर्वे में कई मूर्तियां जैन धर्म से संबंधित मिली हैं. अपनी मांग को लेकर जैन समाज ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. इस मामले में जैन समाज ने जैन कवि धनंजय और राजा भोज की कहानी का जिक्र करते हुए भोजशाला को जैन गुरुकुल होने और यहां भगवान आदिनाथ का मंदिर होने का दावा किया है.

पहले खारिज हो चुकी है जैन समाज की एक अर्जी

इससे पहले भोजशाला को लेकर जैन समाज की अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने जैन समाज के प्रतिनिधियों को सही फॉर्मेंट में नियम के मुताबिक अर्जी देने को कहा है. जैन समाज भोजशाला को एक जैन गुरुकुल होने का दावा कर रहा है. दरअसल जैन समाज यह दावा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वे में मिली कुछ जैन मंदिरों की मूर्तियों के आधार पर कर रहा है. उनका कहना है कि यहां मिली मूर्तियों का जैन धर्म से जुड़े होने का शिलालेख ब्रिटिश म्यूजियम में रखा है.

भोजशाला का इतिहास
मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहांय वागदेवी (मां सरस्वती) का मंदिर था. जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कमाल मौलाना मस्जिद है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है. भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है. एएसआई ने अप्रैल, 2003 में एक आदेश में हिंदुओं को हर मंगलवार परिसर में पूजा करने और हर शुक्रवार को मुसलमानों को यहां नमाज अदा करने की इजाजत दे दी.

भोजशाला मंदिर को राजा भोज (1000 से 1050ईस्वी ) ने बनवाया था. जो परमार वंश के महान शासक थे. 1000 से 1050ईस्वी तक अपने शासन के दौरान उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां महाविद्यालय की स्थापना की. इसी महाविद्यालय में मां सरस्वती का मंदिर भी था. इस मंदिर का जिक्र उस वक्त के राजकवि मदन ने अपने नाटक में भी किया है. साल 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला किया. 1401 ईस्वी में दिलवार खान गौरी ने फिर 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने इसके दूसरे हिस्से में मस्जिद बनवाई. 19वीं शताब्दी में खुदाई के दौरान यहां मां सरस्वती की मूर्ति मिली. जिसे लॉर्ड कर्जन 1902 ई. में भोजशाला से इंग्लैण्ड के लंदन संग्रहालय में रख दिया. (तस्वीर साभार – भोजशाला मां सरस्वती मंदिर धार फेसबुक पेज से साभार)

Madhya Pradesh National

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