अगर आप अपने लवर्स के साथ एमपी में कहीं छुट्टियां बिताने का प्लान कर रहे हैं तो फिर मांडू आपके लिए बेस्ट टूरिस्ट प्लेस है. यह एक बेहद सुंदर और ऐतिहासिक टूरिस्ट प्लेस है. यहां के प्राकृतिक नजारे आपको कुछ अलग ही एहसास कराते हैं. शायद यही वजह है कि मांडू को खुशियों का शहर कहा जाता है. मध्य प्रदेश के मालवा इलाके में विंध्य की पहाड़ियों पर बसे मांडू शहर में कई खूबसूरत जगहें हैं. इनमें मांडू का किला यानी रानी रूपमति का महल, हिंडोला महल, जहाज महल और अशरफी महल शामिल हैं.
मांडू का किला
करीब बीस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस किले को रानी रूपमती महल भी कहा जाता है. यह किला रानी रूपमति और राजा बाज बहादुर के प्यार की निशानी है. कहा जाता है कि राजा बाज बहादुर को यहां रूपमति का गाना सुनाई दिया, वो उनकी आवाज के दीवाने हो गए. उन्होंने उनसे शादी का प्रस्ताव रखा. रानी रूपमती मां नर्मदा के दर्शन के बाद ही जल और अन्न ग्रहण करती थीं. इसलिए राजा बाज बहादुर ने इस महल का निर्माण कराया, जिससे रानी को मां नर्मदा के दर्शन में आसानी हो. इसी वजह से यह जगह लवर्स के लिए खास मानी जाती है.
जहाज महल
मांडू का जहाज महल, जहाज के आकार का बना है. इसके दोनों किनारों पर दो तालाब बने हैं. दूर से देखने में ऐसा लगता है कि यह जहाज तैर रहा है. इसका निर्माण मुंजा और कपूर टैंक के बीच एक पट्टी पर कराया गया है. जो एक जहाज के पुल की तरह नजर आता है.
हिंडोला महल
मांडू आने वाले हर टूरिस्ट को हिंडोल महल भी खूब लुभाता है. इसके नाम की तरह इस महल की बनावट भी अनोखी है. इसकी दीवार थोड़ी से झुकी हुई है. इस वजह से यह महल झूले जैसे नजर आता है. यही वजह है कि इसका नाम हिंडोला महल पड़ गया. इस महल का निर्माण गयासुद्दीन खिलजी ने बनवाया था. अपने खाली वक्त बिताने के लिए मुगल भी यहां आया करते थे.
मांडू का इतिहास से संबंध
मांडू का इतिहास से भी पुराना संबंध रहा है. इस छोटे से पहाड़ी शहर की जड़ें आठवीं शताब्दी के परमार वंश से जुड़ी हैं. इसके अलावा इसकी एक और खासियत है यहां मुगलकाल से चली आ रही प्राचीन जल संरक्षण प्रणाली. जल चैनलों के जटिल सर्पिल डिज़ाइन को शाही स्विमिंग पूल और जहाज़ महल के फव्वारों तक पानी ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। उन दिनों, आने वाले पानी को शुद्ध करने के लिए चैनलों को रेत और कुछ प्राकृतिक जिओलाइट्स से भरा जाता था. (तस्वीर साभार – मध्य प्रदेश टूरिज्म)