मध्य प्रदेश में तमाम पर्यटन स्थलों के साथ-साथ कई तीर्थस्थल भी मौजूद हैं. जहां तीर्थाटन के साथ-साथ पर्यटन का भी आनंद लिया जा सकता है. प्रदेश के सतना जिले के मैहर में विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं के बीच त्रिकूट पर्वत पर मां शारदा का मंदिर स्थित है. इस मंदिर को मां के शक्तिपीठों में शामिल किया गया है. मंदिर की स्थापना 522 ईसा पूर्व का माना जाता है. दस्तावेज के मुताबिक नृपलदेव ने सामवेदी देवी की स्थपना की थी. इसी तरह त्रिकूट पर्वत का जिक्र पुराणों में भी मिलता है. यह पहाड़ पिरामिण के आकार का है. मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1052 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं. नवरात्र के साथ-साथ बाकी दिनों में भी बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग मां के दर्शन के लिए यहां आते हैं.
मैहर देवी मंदिर की मान्यता
ऐसा माना जाता है कि यहां मां शारदा की सबसे पहले पूजा आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. मान्यता के मुताबिक मां शारदा, मां सरस्वती का साक्षात स्वरूप हैं. मान्यता के मुताबिक माता सती का हार यहीं गिरा था. इस वजह से इस जगह का नाम माई का हार पड़ा. बाद में ये जगह मैहर के नाम से जानी जाने लगी.
आल्हा-ऊदल भाइयों का मैहर देवी मंदिर से कनेक्शन
ऐसा कहा जाता है कि त्रिकूट पर्वत पर मां के इस मंदिर की खोज आल्हा-ऊदल नाम के दो भाइयों ने की थी. जो मां शारदा के बड़े भक्त थे. यहां करीब 12 साल की कठोर तपस्या के बाद दोनों भाइयों ने मां शारदा को खुश किया था. मां ने आल्हा को अमरता का वरदान दिया था. ऐसा कहा जाता है कि आज भी हर दिन ब्रह्म मुहुर्त में आल्हा खुद आकर कुल मंदिर में कुल देवी फूलमती माता के मंदिर में मां का ऋृंगार, पूजा और आरती करते हैं. आल्हा-ऊदल बुंदेलखंड के महोबा के वीर योद्धा और कालिंजर के राजा परमान के सामंत थे. इतिहास में पृथ्वीराज चौहान से उनकी लड़ाई का जिक्र मिलता है. बुंदेली इतिहास में इन दोनों वीरों को बहुत सम्मान मिलता है.
कैसे पहुंचे मैहर मंदिर?
वैसे तो मैहर में रेलवे स्टेशन है, लेकिन छोटा स्टेशन होने की वजह से कई ट्रेनें यहां नहीं रुकती हैं. लेकिन नवरात्र के वक्त कई ट्रेनों को यहां स्टॉपेज दिया जाता है. इसलिए आप सतना स्टेशन (36 किलोमीटर दूर) या फिर कटनी स्टेशन (55 किलोमीटर दूर) से यहां जा सकते हैं. मैहर से नजदीक एयरपोर्ट की बात करें तो प्रयागराज से 200 किलोमीटर, जबलपुर से 150 किलोमीटर और खजुराहो से 130 किलोमीटर सड़क मार्ग से यहां जाया जा सकता है. नेशनल हाईवे 7 के साथ मैहर जुड़ा हुआ है. कई शहरों से आपको सीधे मैहर के लिए बस भी मिल जाएगी. मंदिर तक पहुंचने के लिए बुजुर्ग या बीमार तीर्थयात्रियों के लिए व्हीलचेयर, रोपवे की सुविधा भी है. पहाड़ पर सड़क मार्ग भी है, सीढ़ियों से ना जाने वाले लोग गाड़ियों से भी ऊपर जा सकते हैं. (तस्वीर साभार – मैहर मां शारदा देवी मंदिर फेसबुक पेज से साभार)