आदि शक्ति की पूजा का महत्व बताती कई कथाएं हैं, इनमें श्रीराम की शक्ति पूजा की कथा भी इसकी अहमियत बताती है. लंकापति रावण द्वारा माता सीता के अपहरण के बाद जब भगवान श्रीराम किष्किंधा में थे. तब वो बहुत निराश थे. तब देवर्षि नारद उनकी मदद के लिए पहुंचे. उन्होंने प्रभु श्रीराम से उनके दुखी होने का कारण पूछा.
देवर्षि नारद : हे राघव, आप आम लोगों की तरह निराश क्यों हो रहे हैं, जबकि आपने रावण का वध करने के लिए अवतार लिया है और इसीलिए माता सीता का हरण हुआ है.
इसके बाद देवर्षि नारद ने श्रीराम को अश्विनी मास के नवरात्र व्रत का अनुष्ठान करने की सलाह दी.
देवर्षि नारद : हे राघव, आप अश्विनी मास के नवरात्र व्रत का अनुष्ठान करें. क्योंकि इस दौरान मां भगवती की उपासना से मनोवांक्षित सिद्धि प्राप्त होती है. भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अलावा इंद्र भगवान ने भी अश्विनी मास के नवरात्र व्रत का अनुष्ठान किया था. किसी भी संकट से मु्क्ति में यह व्रत हर किसी को करना चाहिए.
देवर्षि नारद ने श्रीराम को बताया कि ऋषि भृगु, वसिष्ठ, कश्यप और विश्वामित्र ने भी इस व्रत का अनुष्ठान किया था. इस तरह देवर्षि नारद ने श्रीराम को पूरे सृष्टि का संचालन करने वाली महाशक्ति का परिचय दिया.
देवर्षि नारद : हे राघव, त्रिदेव यानी भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव, मां की शक्ति से ही सृष्टि का निर्माण, पालन और संहार करते हैं.
श्रीराम : हे देवर्षि नारद, कृपया हमें देवी की उपासना की विधि बताएं.
इसके बाद देवर्षि नारद के बताए मुताबिक श्रीराम ने नवरात्र का व्रत कर देवी मां की उपासना की. श्रीराम के साथ भाई लक्ष्मण ने भी व्रत किया. अश्विनी मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी की आधी राम महाशक्ति मां भगवती ने श्रीराम और लक्ष्मण को साक्षात प्रकट होकर दर्शन दिए.
मां भगवती : श्रीराम मैं आपके व्रत-अनुष्ठान से खुश हूं. आप विष्णु के अंश के रूप में अवतरित हुए हैं. लक्ष्मण और बाकी वानर भी देवताओं के अंश हैं जो रावण से युद्ध में आपके मददगार होंगे. इन सभी में मेरी शक्ति निहित है.
इसके बाद मां भगवती ने श्रीराम को मनोवांछित फल पाने का वरदान दिया. महाशक्ति से वर प्राप्त करने के बाद भगवान श्रीराम की निराशा दूर हुई और उन्होंने रावण का वध किया.