इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट शेयर करने के मामले में आरोपी अंसार अहमद सिद्दीकी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि इस देश में ऐसे क्राइम करना आम बात हो गई है. क्योंकि न्यायालय राष्ट्रविरोधी मानसिकता वाले लोगों के ऐसे कृत्यों के प्रति उदार और सहिष्णु है. इस समय आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित मामला नहीं है. कोर्ट ने साफ कहा कि आवेदक का कृत्य संविधान और उसके आदर्शों के प्रति असम्मानजनक है. उसका कृत्य भारत की संप्रभुता को चुनौती देने और असमाजिक और भारत विरोधी पोस्ट साझा करके भारत की एकता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के बराबर है.
कोर्ट ने कहा कि आजाद भारत में जन्मे वरिष्ठ नागरिक होने के नाते आरोपी को संवैधानिक जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए था. बता दें कि यह मामला बुलंदशहर के छतारी का है. 62 साल के आरोपी अंसार अहमद सिद्दीकी ने फेसबुक पर भड़काऊ और देशद्रोही पोस्ट साझा की थी. इसमें पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा भी लिखा गया था. यह पोस्ट कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शेयर की गई थी.