वामपंथियों के गढ़ माने जाने वाले दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अब छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा सैन्य इतिहास को लेकर कोर्स शुरू किया जाएगा. यहां छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक उत्कृष्टता केंद्र शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है. इसके तहत अखंड भारत की अवधारणा और हिंदवी स्वराज के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज के संघर्ष के बारे में बताया जाएगा.
जेएनयू की ओर से 6 पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने का प्रस्ताव है. आने वाले सत्र 2025-26 में इसकी शुरुआत करने की योजना है. इस कोर्स में मराठा ग्रैंड रणनीति, गुरिल्ला कूटनीति, शिवाजी महाराज और उसके बाद की राज्य कौशल और राज्य कला शामिल हैं. इस कोर्स के लिए पहले 5 साल में पंद्रह से पैंतिस करोड़ का अनुमानित खर्च है.
शिवाजी की शौर्य गाथा
छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान मराठा योद्धा थे. उन्होंने मराठा साम्राज्य और धर्म की रक्षा के लिए मुगल शासकों से लड़ाइयां लड़ीं. 19 फरवरी, 1630 में पुणे के शिवनेरी किले में जन्मे शिवाजी भोंसले 6 जून, 1674 में रायगढ़ में मराठों के राजा बने. उनके दौर में 18वीं शताब्दी की शुरुआत में एक बड़ी शक्ति बन गया.
मुगलों और मुस्लिम आक्रमणकारियों के डर से डरी सहमी हिंदू आबादी को शिवाजी ने भयमुक्त शासन दिया. उनके शासन में कई प्रशासनिक अधिकारी मुस्लिम समाज से भी थे. हिंदू समाज के लिए लड़ने वाले शिवाजी कभी भी मुस्लिम विरोधी नहीं रहे. उन्हें गोरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) का अविष्कारक माना जाता है. समर्थ रामदास जी, शिवाजी के गुरू थे. उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक उन्होंने 1100 मठ और अखाड़े स्थापित किए थे. समर्थ रामदास जी को भगवान हनुमान जी का अवतार माना जा है. हालांकि वो हनुमान जी के परम भक्त थे.