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Shri Krishna जन्मभूमि विवाद : Allahabad High Court से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका

Anju Pankaj Desk, November 19, 2024November 19, 2024

Shri Krishna Janmabhoomi dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर सुनवाई में हिंदू पक्ष को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से संबंधित मामलों की रोजाना सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया है. इस अर्जी में याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय महत्व (करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं से जुड़ा मामला) का बताते हुए तेजी से केस को निपटाने की गुहार लगाई थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्क को स्वीकार नहीं किया.

क्या है विवाद ?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह परिसर का सर्वे वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर जैसा ही होगा. सर्वे करनी वाली टीम इस परिसर में हिंदू पक्ष के दावे की पड़ताल करेगी और उसी आधार पर कोर्ट में रिपोर्ट देगी. बता दें कि इस परिसर की 13.37 एकड़ जमीन पर विवाद है. इसमें 11 एकड़ में मंदिर है, जबकि 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद है. ऐसा दावा किया जाता है कि करीब साढ़े तीन सौ साल पहले 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन के दौरान ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़कर इसी जगह पर मस्जिद बनाई गई. इस मस्जिद के इस्तेमाल में मंदिर के ही मलबे का इस्तेमाल किया गया…. यही वजह है हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद में मंदिर की मौजूदगी के सबूत हैं. जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद में हिंदू प्रतीक या फिर मंदिर होने के कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं.

श्रीकृष्ण जन्मस्थान का इतिहास और औरंगजेब का आदेश
गजनी के सेनापति मीर मुंशी अल उताबी ने अफनी किताब तारीख-ए-यमिनी में मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर के बारे में लिखा कि ये भव्य मंदिर ऐसा लगता है कि इसका निर्माण फरिस्तों ने कराया होगा. गजनी ने इस मंदिर को तोड़वा दिया. इसके बाद मथुरा के राजा महाराजा विजयपाल देव के शासन के दौरान (साल 1150) जज्ज नाम के किसी शख्स ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर नया मंदिर बनवाया. जिसे सिकंदर लोदी के शासनकाल में एक बार फिर तोड़ा गया. इतिहासकार आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव की किताब मुगलकानी भारत के मुताबिक श्रीकृष्ण के जन्मस्थल पर मौजूदा राजा वीर बुंदेला द्वारा बनवाए गए मंदिर को (बाकी बड़े मंदिरों की तरह ही ) औरंगजेब के आदेश के बाद उसकी विशेष फौज की मौजूदगी में तोड़वाया गया था. न केवल मंदिर को तोड़ा गया बल्कि विग्रहों को आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया गया. कहा जाता है कि सोने की परत से ढंका मंदिर इतना ऊंचा था कि 36 मील दूर आगरा से भी दिखाई देता था. इस मंदिर की ख्याति से औरंगजेब नाराज था.

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