2006 में हुए मुंबई ब्लास्ट मामले में आरोपियों को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. इससे 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर रोक लग गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन 12 आरोपियों को रिहा कर दिया गया है. उन्हें वापस जेल नहीं भेजा जाएगा. साथ ही साथ कोर्ट ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि – हमें बताया गया है कि सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया है. ऐसे में उन्हें वापस जेल भेजने का कोई सवाल नहीं उठता. एसजी की दलीलों को ध्यान में रखते हुए विवादित फैसले को मिसाल नहीं माना जाएगा.
बता दें कि इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी वकील आरोपियों के खिलाफ केस साबित करने में नाकाम रहे. यह यकीन करना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया है. इस वजह से उन्हें बरी किया जाता है. अगर वे किसी दूसरे मामले में वॉन्टेड नहीं हैं तो उन्हें फौरन रिहा किया जाए. इस आदेश के 2 दिन बाद सभी 12 आरोपियों को रिहा कर दिया गया. एक आरोपी की कोरोना के दौरान जेल में मौत हो चुकी है.
11 जुलाई, 2006 का वो काला दिन
आज से करीब 19 साल पहले मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए थे. 11 जुलाई 2006 को मुंबई के वेस्टर्न सब अर्बन ट्रेनों के सात कोचों (सभी फर्स्ट क्लास) में सिलसिलेवार धमाके हुए थे. इसमें 189 यात्रियों की मौत हुई थी. इसमें 824 लोग घायल हो गए थे.