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1978 के Sambhal दंगे की फाइल फिर खुलेगी

Anju Pankaj Desk, December 17, 2024

Sambhal violence : संभल में 1978 में हुए दंगे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आने के बाद एक बार फिर इस दंगे की फाइल खोली जाएगी. मुख्यमंत्री के बयान के बाद कमिश्नर ने जिले के आला अधिकारियों से दंगे से जुड़ी हुई फाइलें मंगाई हैं. साथ ही साथ प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी गई है. इससे पहले विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संभल में 1947 से अब तक हुए दंगों में 209 हिंदू मारे गए हैं. लेकिन किसी ने एक बार भी उन निर्दोष लोगों के लिए संवेदना व्यक्त नहीं की. ये लोग हाल ही में हुए संभल दंगे पर आंसू बहा रहे हैं. ये लोग सौहार्द की बात करते हैं. इन्हें शर्म आनी चाहिए.

संभल के हालात को लेकर उन्होंने कहा कि इन लोगों ने तनावपूर्ण माहौल बनाया. पत्थरबाजी की होगी. माहौल खराब किया होगा. उसमें से एक भी बचने वाला नहीं. किसी निर्दोष पर कार्रवाई नहीं होगी. लेकिन पत्थरबाज और कट्टा चलाने वाले नहीं बचेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में राम, कृष्ण और बुद्ध की परंपरा रहेगी. बाबर और औरंगजेब की नहीं. अब हम न बंटेंगे और न कटेंगे.

एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संसद में संविधान पर चर्चा चल रही थी, लेकिन मुद्दा संभल का उठ रहा था. 46 साल पहले जो मंदिर बंद कर दिया गया था. वो सामने आ गया. इनकी सच्चाई को सबके सामने ला दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि संभल में इतना प्राचीन मंदिर क्या रातों रात प्रशासन ने बना दिया. क्या वहां बजरंगबली की इतनी प्राचीन मूर्ति रातों रात आ गई. क्या वहां शिवलिंग निकला है. क्या ये आस्था नहीं थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन दरिंदों ने 46 साल पहले संभल में नरसंहार किया था उन्हें आज तक सजा क्यों नहीं मिली. इस मसल पर चर्चा क्यों नहीं होती. लेकिन जो इस मुद्दे पर बोलता है उसको धमकी दी जाएगी.

बता दें कि संभल में 46 साल से बंद पड़े शिव मंदिर को प्रशासन ने खुलवा दिया. दरअसल बिजली चोरी के खिलाफ प्रशासन के अभियान के दौरान मुस्लिम बहुल इलाके में बंद पड़े मंदिर पर पड़ी. प्रशासन द्वारा जब इस बारे में जानकारी जुटाई गई तो जानकारी सामने आई की यह मंदिर 1978 में हुए दंगे के बाद से बंद है. इसके बाद प्रशासन ने मंदिर का ताला खुलवाया और इसके आसपास मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा जो अतिक्रमण किया गया था उसे भी हटवाया.

29 मार्च 1978 को दहला था संभल
सालों पहले 29 मार्च 1978 को संभल दंगों की आग में झुलस गया था. होलिका दहन का विवाद फिर एक कॉलेज में छात्रों का विवाद, नगरपालिका कर्मचारियों और रिक्शाचालकों की नाराजगी के बीच बने हालात में मंजर शफी नाम के शख्स और उसके उपद्रवी समर्थकों ने भड़काऊ नारेबाजी शुरू कर जबरन बाजार को बंद कराना शुरू कर दिया और विरोध करने लूटमार शुरू कर दी. लूटमार की इस घटना के बाद फैली अफवाहों की वजह से यह लूटमार हत्या और आगजनी में बदल गई. इस दंगे में 10 से 12 हिंदू मारे गए थे. इसके बाद संभल के कई इलाकों में महीनों कर्फ्यू लगा रहा.

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