राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि – आज जो इतिहास हमें पढ़ाया जाता है. वह पश्चिमी नजरिए से लिखा गया है. उनके विचारों में भारत का कोई अस्तित्व ही नहीं है. वैश्विक पटल पर भारत दिखता है, लेकिन उनकी सोच में नहीं. उनकी किताबों में चीन और जापान मिलेंगे, लेकिन भारत नहीं. ये बातें कहते हुए मोहन भागवत ने कोर्स में बदलाव का समर्थन किया है. उनका कहना है कि भारत को सही रूप में समझने और पेश किए जाने की जरूरत है.
मोहन भागवत ने कहा कि – दुनिया को अब एक नई दिशा की जरूरत है और यह दिशा भारतीयता से ही मिलेगी. दुनिया की मौजूद समस्याओं का एकमात्र समाधान भारतीयता में हैं. लोग भारतीय जीवनदृष्टि अपनाएं और दुनिया को मार्ग दिखाएं. भारत में रहने का अर्थ किसी भौगोलिक सीमा में रहना या नागरिकता पाना नहीं है. भारतीयता एक नजरिया है, जो पूरे जीवन के कल्याण की सोच रखता है. धर्म पर आधारित यह नजरिया चार पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन का हिस्सा मानता है और इनमें मोक्ष अंतिम मकसद है. (तस्वीर साभार – राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) फेसबुक पेज से साभार)